( तर्ज - ना छेडो गाली दूंगी ० )
बिन प्रभू न कोई तारे ,
खूब पियारे ! जान तू॥टेक ॥
चलतीके साथी सारे ,
पडतीमें सब कोइ हारे ।
एक प्रभू - संग ले प्यारे !
उसको दिलसे मान तू।।१ ॥
यह अनुभव सबको आया ,
पर मायाने भुलवाया ।
विषयोंके संग फँसाया ,
झूठी माया तान तु ॥२ ॥
कर गुरू - जनोंकी सेवा ,
फिर पावे सुखका मेवा ।
भज ‘ कृष्ण कृष्ण जिवभावा ,
इनपे रखले ध्यान तू ॥३ ॥
कहे तुकड्या जो यह साधे ,
वह मोक्ष घरहिमें बाँधे ।
अँधे भी होते बन्दे ,
वहि करलेना प्राण तू ॥४ ॥
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